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Description
कविता, कवि के हृदय मे उपजे अमूर्त मनोभावों को मूर्त-रूप देने की एक विधा है। इन मनोभावों
में कभी प्रेम दिखता है तो कभी आक्रोश, कहीं प्यास होती है तो कहीं तृप्ति, कहीं आशा होती है
तो कहीं हताशा, कहीं संदेह होता है तो कहीं अटूट आत्म-विश्वास। कवि का भावुक मन अपने
इर्द-गिर्द के वातावरण के प्रति सर्वथा संवेदन शील रहता है और जब कभी ये भावनाएं एक
सीमा से अधिक तीव्र ही जाती हैं तो अनायास ही कविता के रूप में बह चलती हैं। 'सुनो रे' बालकृष्ण मिश्र द्वारा पिछले दो दशकों में रचित कविताओं का संकलन है, जो पाठकों को सार्थक एवं रूपांतर-कारी चिंतन के लिए अवश्य प्रेरित करेगा।
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कविता, कवि के हृदय मे उपजे अमूर्त मनोभावों को मूर्त-रूप देने की एक विधा है। इन मनोभावों
में कभी प्रेम दिखता है तो कभी आक्रोश, कहीं प्यास होती है तो कहीं तृप्ति, कहीं आशा होती है
तो कहीं हताशा, कहीं संदेह होता है तो कहीं अटूट आत्म-विश्वास। कवि का भावुक मन अपने
इर्द-गिर्द के वातावरण के प्रति सर्वथा संवेदन शील रहता है और जब कभी ये भावनाएं एक
सीमा से अधिक तीव्र ही जाती हैं तो अनायास ही कविता के रूप में बह चलती हैं। 'सुनो रे' बालकृष्ण मिश्र द्वारा पिछले दो दशकों में रचित कविताओं का संकलन है, जो पाठकों को सार्थक एवं रूपांतर-कारी चिंतन के लिए अवश्य प्रेरित करेगा।
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